Monday, November 12, 2012

चैन कि नींद

Please excuse any spelling mistakes. Wrote this on a whim.



कहाँ नींद में खोये हुए हों?
जागो, इस दिन को रोशन करो.
सपनो में ही न खुशिया बांटो,
कुछ मीठे पल यहाँ भी बिताओ.

किस कशिश में 
कश्मकश हुए हों?
किन बातों में उलझे हों?
दिन अभी ढला नहीं है.
तो उठो, हम पर एक मुस्कान बरसाओ.

1 comment: